पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताओं की सूची - लाल्टू

पूरी सूची बना पाना मुश्किल है। बिल्कुल पहले की कुछ रचनाओं का ब्यौरा है, बाद की भी रचनाएँ मिल जाएँगी, पर बीच के दशकों की मिलना मुश्किल है। धीरे-धीरे पूरा कर रहा हूँ।

कविता संग्रह (10)

शीर्षक

प्रकाशक

प्रकाशन वर्ष

अधूरी रहना कविता की नियति है

संभावना (हापुड़)

2024

कौन देखता है कौन दिखता

परिकल्पना (लखनऊ)

2021

थोड़ी सी जगह

बोधि (जयपुर)

2021

प्रतिनिधि कविताएँ - हरे से भरा था उसका बदन

संभावना (हापुड़)

2021

चुपचाप अट्टहास

नबारुण (नई दिल्ली)

2017

कोई लकीर सच नहीं होती

वाग्देवी (बीकानेर)

2016

नहा कर नहीं लौटा है बुद्ध

वाग्देवी (बीकानेर)

2013

सुंदर लोग और अन्य कविताएँ

वाणी (नई दिल्ली)

2012

लोग ही चुनेंगे रंग

शिल्पायन (नई दिल्ली)

2010

डायरी में तेईस अक्तूबर

रामकृष्ण (विदिशा)

2004

एक झील थी बर्फ की

आधार (पंचकूला)

1991


पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएँ

अकार (56)

जनवरी 2021

मिट्टी, मेरे देश की स्त्री, आखिरी डूब, हे पूर्वजो!, ग़फ़लत, रोशनी

अदहन

जुलाई-सितंबर 2018

बीच में कहीं बैठा हूँ, हर कोई किसी से बदला ले रहा है, उद्धरण मुक्तिबोध, रोशनी है अँदेरे वक्तों की, बच्चों सा खेल, उसकी कहानी

अनुनाद – ई-मैगज़ीन


-.09.16

तीन कविताएँ

3.11.14

सात कविताएँ - जो नहीं है मैं उसे सामने रखता हूँ, यहाँ, ताप, डर, क्या ऐसे मैं चुप हो जाऊँगा, आज मैं, र्सिया

2.2.10

: मैंने सुना

14.12.09

: वही चौराहा, मैं लिखता हूँ

18.1.09

: डायरी में तेईस अक्तूबर, पुनश्च

अभियान

अप्रैल 2002

अंत में लोग ही चुनेंगे रंग

फरवरी 1997

पाश की याद में

अमर उजाला

2008

चलो मन आज,

अलाव

जुलाई-अगस्त 2009

कोई बाहर से आता है; बाहर अंदर; अंत में लोग ही चुनेंगे रंग, मैं कहता हूँ पेड़, जाओ, सामने खुला मैदान है, जब शहर छोड़ कर जाऊँगा

अक्षर पर्व

नवंबर 2000

मनस्थिति; कब से; आकांक्षा


उत्सव अंक 1998

टोरस, दुखों के रंग और मैं, दिवास्वप्न

जुलाई 1998

पोखरन 1998 (चार कविताएँ)

मार्च 1998

अवसान, वापस लौटे के स्वागत में, कोई नहीं से बेहतरी तक, जब तीस की होगी

मार्च 1999

मनस्थिति, एक दिन, अभी सबसे पहले

अर्थात्

जनवरी-मार्च 2013

शहर लौटते हुए दूसरे खयाल, जिज्ञासु, नई भाषा, आदत है, एक अदद नाम, सफर

आकंठ

अक्तूबर-नवंबर 1989

याशा के लिए पहली कविता; भीख; बादलों ने तो, किसी एक मिडिल स्कूल में; वह भी कह गई थी; तेरा नौकर; ढाबे में; पहाड़-1, पहाड़-2

आजकल

मार्च 1996

तुम्हारे लिए दूसरी कविता, नाराज़ लड़की के बारे में सोचते हुए, कविता और प्लेग

आदमी

अक्तूबर 1989

जैसे, स्पर्श

आलोचना

अक्तूबर-दिसंबर 2012

यूँ ही, इस तरह, तीन छोटी बच्चियाँ, टूटते परमाणु, ईश्वर भी अश्लील, लगा जैसे कि, आदमी और तानाशाह

2020

मुंशीगंज की वे

इतवारी पत्रिका

3 मार्च 1997

रुको, खबर, पहाड़, पाश की याद में, हर कोई, सफर में पूर्ण

इंद्रप्रस्थ भारती


जनवरी-जून 2009

वह आदमी कितना अजीब है, एक दिन धरती चकराएगी चाँद से, विसर्जन, प्रवासी कवि

दिसंबर 2014

क्या ऐसे मैं, किस पौधे से पूछूँ, लहरें, सब छिन गए

उत्तर संवाद

1994

शहर से बाहर

उत्तर प्रदेश मासिक

मार्च 1997

मंज़र, कंप्यूटर, उम्र

उत्तरार्द्ध

मई 1996

हम हैं, कल रात

जुलाई 1987

बारूद शब्द बन फैलता है; आज शिराओं पर पहाड़ चढ़ाना होगा; यहाँ मत आना खाली हाथ

उद्भावना

2021

किसान आंदोलन पर तीन कविताएँ

2020

गीत – ये उदासी के मंज़र...

सितंबर '19

काश्मीर

मार्च-जून 2015

खबर, पहरेदार, गुफ्तगू

2011

देश संकट में है (तीन और कविताएँ)

जनवरी 2006

औरत गीत गाती है।

1998 (कवितांक)

देखना ज़रा

अक्तूबर '97-मार्च '98

जागरण काल, बीस साल बाद, देखना जरा

1989

416 सेक्टर 38; बहुत मन करता है

कथन

अक्तूबर-दिसंबर 2010

हर क्षण, हर सुबह रेत बनता प्राण, अद्भुत

कादंबिनी

जनवरी 2018

सपनों में बर्फ बनती धरती (4 कविताएँ)

कृति ओर

जुलाई-सितंबर 2009

उसे देखा, नियम, वही चौराहा

क्वाली

1987

तेरा नौकर, क्रांतिकारी

कंचनजंघा - ई पत्रिका

2021

आठ कविताएं (कोलकाता, और सात और)

चकमक

नवंबर 2020

दो कविताएँ

जनवरी 2016

कहानी उड़ती बात की

अक्तूबर-नवंबर 2014

बात कहो

सितंबर-नवंबर 2011

इंतज़ार

1999

पेड़ों को गर्मी नहीं लगती क्या?

जनवरी 1996

देश बड़ा कब होता है

अगस्त 1994

कितने बिंदु

नवंबर-दिसंबर 1993

वो आई गाड़ियाँ

अगस्त 1988

बरसात

जुलाई 1987

मिट्ठू

मार्च 1987

भैया ज़िंदाबाद; इंतज़ार

जतन

जनवरी-मार्च 2006

: सरहद, मौका

2005

महक

1990

किसी एक मिडिल स्कूल में, फिलहाल

1989

आजकल, शिमला, गाँव, एस पी का दफ्तर

जनसत्ता

20.12.2015

चारों ओर उल्लास है

19.07.15

मेरी भाषाएँ, तुम्हें सोचता, ललमुनिया वापस आएगी, तुम्हें कैसे सपने आते हैं, फिक्र, वादा, अद्भुत, , सड़कक, गाड़ी और आदमा

28.12.14

साथ रहो

13.04.2014

युवाओं से, एक और व्याख्यान

2013

ग़म की लौ थरथराती रही रात भर, अँधेरे के बावजूद

2013

यहाँ बारिश, बारिश वहाँ !

1 जनवरी 2012

अश्लील कविता, बस तुम्हें चाहता था, शब्द डराते हैं

13 जनवरी 2008

सुंदर लोग (चार कविताएँ)

2001

पूर्ण या अर्द्ध

27 सितंबर 1992

कितनी बार क्षमा, लिखनी हैं ढेर सारी कविताएँ वहाँ

अगस्त 1992

जिस दिन एल ए में दंगे हुए; नया सवाल

9 दिसंबर 1992

सात दिसंबर 1992: यहाँ नहीं कहीं और

जनवरी 1991

नया साल-1; नया साल-2;

अगस्त 1990

बहत्तर साल की थकान थी उसकी साँस में

अप्रैल 1990

छोटे शहर की लड़कियाँ; बड़े शहर की लड़कियाँ

23 नवंबर 1989

विदाई; निकारागुआ की सोलह साल की वह लड़की; पहाड़

जन-संदेश टाइम्स

10 जुलाई 2016

: कविताएँ

जलसा

2015

उन्नीस कविताएँ - जीना मरना; एक ग़लत बटन; कोई लकीर सच नहीं होती; पढ़ना; जैसे यही सच है; सुबह से रात तक; तैयार हूँ; घुसपैठिया; 'वो ख़लिश'; जो नहीं है मैं उसे सामने रखता हूँ, सभ्यता में मेरा क्या दिखेगा; आज मैं; तुम किस लिए; ऐसे ही कूद पड़ूँगा; तुम; नन्ही शै अँधेरे में; कोई भी; परदे पर जो रंग हैं तुम्हारे हैं; थकान

2012

शब्द मिले अनंत तो क्यों प्रलापमय

2010

हुसैन सागर, जैसी हमारी आपस में जुड़ी उँगलियों में, मैं जब नंगा खड़ा होता हूँ, लौट कर लिखनी थी कविता जो, हम नाहक़ दोस्तों को कोसते रहे, मैं एकदिन उस छत्तीसगढ़ में जाऊँगा, जंग किसी के लिए वांछनीय नहीं होती

जानकीपुल वेब पत्रिका

2020

खंडहर – एक सफर (43 गद्य कविताएँ)

2013

क कथा, ख खेले, मैं तुमसे क्या ले सकता हूँ, छुट्टी का दिन, अखबार नहीं पढ़ा, मैं किस को क्या सलाह दूँ, आखिरी धूप, जिज्ञासु

तथा

अक्तूबर 2008

डायरी का पन्ना, क्यों लिखा, मौका, सरहद, वहाँ, बाहर अंदर, मैं तुमसे क्या ले सकता हूँ, तोड़ा तभी तो जोड़ा. शहर में शहर की गंध है, बूँद-बूँद आँसू, उसे देखा

दलित अस्मिता

1996

अँधेरा- पाँच कविताएँ

दशकारंभ

अक्तूबर 1993

चाहे फूल खिले हों, नहीं, न्यूयॉर्क '90 और टेसा का होना न होना, काली आँखों वाली बीमार लड़की

दृश्यांतर

2014

कल आज, समांतर विश्व में रहता हूँ, कुछ है जो नहीं रिसता है, मैं और तुम, दो लफ्ज़, जली है एक बार फिर दाल

देशज

अप्रैल-जून 2023

कवि कुछ फ़िक्र करो, तब, बेशक शक

देशधर्म(इटावा)

जनवरी 1997

आधुनिक; उम्र; पहाड़ लाज से झुक गए थे; कविता; उठो; आजीवन; कविता-2; कविता नहीं; प्रासंगिक

दैनिक भास्कर

2015

वह


नवंबर 2014

दो कविताएँ


2005

इशरत


11 मार्च 2002

डायरी के पन्नों से: 1 मार्च 2002

26 सितंबर 2001

तुम परी थी जब, लिखो लिखो लिखो

दैनिक ट्रिब्यून

14 जून 2009

हर दिन पार करता हूँ

3 मई 2009

एक देश संकट में है

दोआबा

2019

: कविताएँ

जनवरी-मार्च 2020

होमो सेपिएंस, धरती के गीत गाता हूँ

नया कदम

1989

मेरा बाप; पहाड़ लाज से झुक गए थे

नया पथ

26 जनवरी 1998

डायरी में तेईस अक्तूबर; कविता नहीं

जुलाई-दिसंबर 2019

जब तक चाँद ..., मुल्क की माली हालत..., नेता का तोहफा

नया ज्ञानोदय

जनवरी 2015

कोई लकीर सच नहीं होती; पढ़ना

2009

आबादी बढ़ रही है आवाज़ों की,

नाबार्ड पत्रिका

2005

सुबह, नदियाँ, बच्ची बोलेगी, एयरपोर्ट, जन-जन का चेहरा एक

निर्माण भारती

2019

जन्नत का चौकीदार

परिवेश

अप्रैल-सितंबर' 93

यहाँ नहीं कहीं और- 7 दिसंबर 1992

परिकथा

(96)जनवरी-फरवरी' 22

कवि, धो लो, शहर कभी नहीं सोता, मैं चाहे तुम फितरतन, राजधानी में रात

पश्यंती

अक्तूबर-दिसंबर 2004

देशभक्त, सफर हमसफर, ठंडी हवा और वह, पिता, क कथा, ख खेलें, प्रेम, , कोई बाहर से आता है, बाहर अंदर, नाराज़सड़कें, भू भू हा हा, भारत में जी, फाँसी की सजा से लौटे हुए को, हम बातें करते हैं, नियम, जो है

अप्रैल-जून 2001

लिखना चाहिए, घटनाएँ, अलग, आने वाले बसंत की कविता, दिवास्वप्न, कुछ भी नहीं, चोट, स्मित और तुम, कवि की याद में, उठो, मर्ज़, सखीकथा, यातना, छोटे-बड़े

अक्तूबर-दिसंबर 2000

बकवास, अश्लील

1999

निश्छल

जनवरी-मार्च 1998

शरद और दो किशोर;

अक्तूबर-दिसंबर 1997

एक नाम; नशे में; मौसम; लूट सम्मोहन और जाग; वर्कशॉप- दो कविताएँ; उफ हुमैरा

जनवरी-मार्च 1995

आज की लड़ाई; स्केच(?); हालाँकि लिखना था पेड़; परेशान आदमी; सेनेगल की फिल्म शुरू होेने के पहले; जैसे खिलता है आस्मान; ती और टू; सूरज सोच सकने को लेकर; फातिमा; दोस्त; चित्र, मैं भी लिखूँगी

1995

वह प्यार – 8 कविताएँ

पहल

(119) 2019

सात कविताएँ

(105)दिसंबर 2016

दस कविताएँ

(94)नवंबर 2013

सुबह-सुबह साँसों में, रात अकेली न थी, खिड़की की कॉर्नस पर दो पक्षी हैं, प्रतीक्षालय, क्या हो सकता है और क्या है,

(76) जनवरी-मार्च2004

लौटता मानसून, स्मृति, कहानी-1, कहानी-2, दिखना

(54)जून-अगस्त 1996

शीशा छोटा है, आधुनिक, सपने में

(37) 1988-89

सारी दुनिया सूरज सोच सके, नपटीतलाई सारुमारु को स्तूप, खान साहब की कहानी, बहुत मन करता है,

(31) जनवरी 1987

काला माइकल; पंजाब; मज़दूरों के साथ बिताई एक शाम;

प्रज्ञा

1996

अँधेरा - 5 कविताएँ


अप्रैल-जून 1993

इसके पहले कि

प्रतिबद्ध

मई 1998

रुको; भाषा; संस्कृत असंस्कृत; हम हैं; अंत में लोग ही चुनेंगे रंग, गर्दभ कथा

प्रतिलिपि

2009

रद उड़ानें (ब्लॉग लिंक)

2009 (#13)

इस तरह मरेंगे हम, नाइन इलेवेन

प्रेरणा



अक्टूबर-जून 2008

एक समूची दुनिया होती है, सपनों में उनके भी

जनवरी-मार्च 2011

अहा ग्राम्य जीवन भी, कविता नहीं, इस धरती पर कहाँ बची है जगह, मैंने सुना, तीन सौ युवा लड़कियाँ, ऐसे ही, अर्थ खोना ज़मीन का, औरत बनने से पहले एक दिन, बड़े शहर की लड़कियाँ, चैटिंग प्रसंग, छोटे शहर की लड़कियाँ, डरती हूँ, एक दिन धरती टकराएगी चाँद से, हमारे बीच, उन सभी मीराओं के लिए, उसकी कविता, ठंडी हवा और वह, सखी कथा, एक और औरत

पल प्रतिपल

जनवरी-मार्च 2005

चैटिंग प्रसंग, मैंने सुना,अहा ग्राम्य जीवन भी, मैंने कहाँ जाना, हमारे बीच

अक्तूबर-दिसंबर 1992

यह वह बनारस नहीं गिन्सबर्ग, वह सागर होंठों पर, डी एन ए एक सुंदर कविता है

जुलाई-दिसंबर 1990

छोटे शहर की लड़कियाँ, बड़े शहर की लड़कियाँ, विदाई, तेरा नौकर, किसी दिन तू आएगी, लड़ाई हमारी गलियों की, मज़दूरों के साथ बिताई एक शाम

पाखी

मई 2016

15 कविताएँ

जुलाई 2014

सड़क पर

अगस्त 2013

प्रगति, जब कोई पक्षी न बचेगा, आतंक,

जुलाई 2012

अढ़ाई की कविता; पढ़ाई की कविता; कढ़ाई की कविता; चढ़ाई की कविता; लड़ाई की कविता;

पाठ

जनवरी - 2020

दो छोर, थोड़ी देर और, सुनो जनाबे-आली, उन के साथ हुसैनीवाला सरहद पर, सूरज कहे सलाम. शाम मुहावरे सी थकान लिए आती है

2018

ऐसे ही लँगड़ाते, तक्नोलोजी के साथ बूढ़े हुए हम,उम्मीद के पैंतालीस मिनट, रात अकेली न थी, जोर से मत कहना, समझ नहीं आता

अक्तूबर-दिसंबर 2009

एयरपोर्ट, नियम, कोई बाहर से आता है, नदियाँ

अप्रैल-जून 2009

एक और रात, देखना ज़रा, कंप्यूटर, देशभक्त

पांडुलिपि

अक्तूबर-दिसंबर 2010

रंग हिरोशिमा, सालों बाद मिलने पर, रात भर बारिश, महानगर का जीवन

पूर्वग्रह

जनवरी - जून 2014

जब इतना सुख, मैं कविता में उसे ढूँढ लेता हूँ, पुराना खेल पुराना खयाल

बनास जन

जुलाई-सितंबर 2017

उलंग; आन फ्रांक, तुम्हारी डायरी कब रुकेगी; एंट्रापी का हिंदुस्तानी तर्जुमा, दुर फिटेमुँह, अँधेरे, आसान कविता, नींद आती है, लिख सकूँ, हर सुबह, लिखना चाहिए; करता हूँ आ जाएँ; सोचने की जगह

जनवरी-फरवरी 2014

टोनी मॉरिसन इंग्लिशवालों के खिलाफ लिखती है; सड़क किनारे; आज शब्दों पर; थोड़ी देर ईश्वर; इसके पहले कि; इसलिए पेड़ बार बार; आज सुबह कुहरा; रोशनी; कहानियाँ; बाँध रहे दूरियाँ; दो लफ्ज़; मैं और तुम

मधुमती

मई '19

पाँच कविताएँ

नवंबर '19

आठ कविताएँ - जरा सी गर्द, नींद, रंग, तस्वीर, यहाँ, थकी हुई भोर, दरख्त, टुकड़े

मुक्तिबोध

नवंबर '15-जनवरी '16

मेरी भाषाएँ, फिक्र, व्यथा, फिज़ां, आखिरी धूप

अगस्त-अक्तूबर 2010

विकल्प, धुँधली तहों में से, रात भर बारिश, बीत चुकी रीत फिलहाल, रंग हिरोशिमा, आकाश उन्मुक्त

अगस्त 1998

अर्थ खोना ज़मीन का

रविवार डॉट कॉम

14.2.15

प्यार – पाँच कविताएँ (ब्लॉग लिंक)

2014

पढ़ो

2012

अढ़ाई की कविता, पढ़ाई की कविता, चढ़ाई की कविता, कढ़ाई की कविता, लड़ाई की कविता

2011

वहां से गुज़रते हुए, पेटीशन, अरे!, दृश्य, मुस्कान और मुस्कान, आदत है

2010

छुट्टी का दिन, हर सुबह रेत बनता प्राण, वह औरत रोक रही है उसे, हर क्षण,

जंग किसी के लिए वांछनीय नहीं होती, लौट कर लिखनी थी कविता जो, जीवन (ब्लॉग लिंक)

2009

सोचने में सबको मुस्कराना, हर बात पुरानी लगती है, आज सुबह है कि एक प्रतिज्ञा है,

बीत चुकी रात फिलहाल, उनकी साँसें मुझमें चल रहीं, रात भर बारिश, रंग हिरोशिमा

उन सभी मीराओं के लिए

राजस्थान पत्रिका

फरवरी 2017

अब हर रात



वर्तमान साहित्य

मई 2009

टेलर ऑफिसर; चाहूँ भी तो नहीं कह सकते; स्टोनहेंज;

2007

इशरत



वसुधा

जुलाई-सितंबर 2009

गीत नहीं भवानी मैं ध्वनियाँ बेचता हूँ, जो बहुत दूर से चलकर मुझ तक आया है, मैं कहता हूँ पेड़, खुशी से नाचती है कविता,

मार्च 2006

एक और औरत, अड्डे पर कविता, घर और बाहर, जीवन

अक्तूबर 1989

साफबयानी, अब ज़िंदगी में, बच्चों से, कमला और मेरे सपने





वाक्

2010

वह दिखती है साथ, जब सचमुच थक जाता हूँ, फिक्र, लज्जा पुरुष का आभूषण, कितनी लंबी कविता, खयाल खयाल नहीं, जा रहा हूँ किसी अक्षांश पर, हाजिरजवाब नहीं हूँ, एक नाटक देखता हूँ, एक और प्यासा, एक ही दिन, एक आदमी बिना मिले ही चला गया, दिन गर्म है लू चली है, दिल्ली में भी पेड़ हैं, धुँधली तहों में से, देश को देश से बचाएँ, देमोक्रितुस की यात्रा, चिढ़ घर से साथ चलती, बंद कमरे में, बहुत दूर से, आत्मकथा, अकेली औरत का काम, बदलना, बिल्लो

वागर्थ

दिसंबर 2021

रात, वैसे तो, चुप्पी

अप्रैल-जुलाई 2020

नींद, बोझ, मुझमें, अजीब पहेली है, टुकड़े

सितंबर 2019

सात कविताएँ

जुलाई 2018

ग़ज़ल, सोचने की जगह, कैसे आई यह बात, चमक, ठोस, नाज़ुक, बादल

जनवरी 2016

हिंसा और दो कविताएँँ

अक्तूबर 2014

सपना (पाँच कविताएँ)

जून 2012

अब वक्त कम ही बचा है न!; वह तोड़ती पत्थर; जली है एक बार फिर दाल; गहरे नीले में; धवनियों का नृत्य; हिलते-डुलते धब्बे

नवंबर 2008

ये जो फल हैं, किन कोनों में छिपोगे, आदतन बीत जाएगा दिन, एक दिन, कल चिंताओं से रात भर गुफ्तगू की, सचमुच कौन जानता है कि

दिसंबर 1996

पूरब को देखा मैंने, तिलचट्टे की मौत; तुम्हारा इंतज़ार

वाणी प्रकाशन समाचार

मई 2011

पाँच कविताएँ

विपाशा

2019

अहल्या, आज़ादी, सूरज कहे - सलाम, शाम मुहावरे सी आती है

2018

सुबह, बातें, सवाल, धूप, वहाँ, सपाट, रात अकेली न थी, फिजां, डर, दो लफ्ज़, सुबह

मार्च-अप्रैल 2012

चींटी बन कर चट्टानों को, लिखना इसीलिए रुकता है, यही सृष्टि है, सरल बातें, कैसे कहूँ, विचार, सड़क पर चादर, रात भर बारिश, रह गई है, तस्वीर

नवंबर-दिसंबर 2010

आज खिड़की से, लिखते रहो, देमोक्रितुस की यात्रा, हर बात पुरानी लगती है, मेरे पूर्वजो, दिन गर्म है लू चली है, आदतन किसी ईश्वर को मिलती थी जगह

जुलाई-अगस्त 1996

उम्र, मनस्थिति-1; मनस्थिति-2; जीवन; पुल के नीचे नंगा बालक और आदमी

जनवरी-फरवरी 1993

शाम, वहाँ, पाँच बजे शहर लौटते, धुले कपड़े, वर्षांत

1990

दिन ऐसे बीतते हैं, तुमने कभी सोचा है, निकारागुआ की सोलह साल की वह लड़की

सितंबर-अक्तूबर 1987

किसी दिन तू आएगी, सिर्फ तुम्हारे लिए, इस वक्त, एक सौ छठी बार

लल्लन टॉप वेब मैगज़ीन

29 दिसंबर 2017

हम नहीं हटे, डर ही हटा पीछे कदम दो-चार (पाँच कविताएँ)

शब्द संगत

जुलाई 2009

मैं अब और दुखों की बात नहीं करना चाहता, शाम अँधेरे, तुम कैसे इस शहर में हो, सुबह तुम्हें सौंपी थी थोड़ी सी पूँजी, हिंदुस्तान जाग रहा है, पशोपेश परस्पर, कोई कहीं बढ़ रहा है, दाढ़ी बढ़ते रहने पर, वह जब आता है, जाने के पहले उसने जो कुछ कहा था, वह आदमी बस के इंतज़ार में, ढूँढ रहा है मोजे धरती के सीने में, इसलिए लिख रहा हूँ, किस से किस को, जब सारे भ्रम दूर हों, दो कविताएँ तुम्हारे लिए, मेरे सामने चलता हुआ वह आदमी, एक के हाथ में कटोरी भरी रेत है, अख़बार नहीं पढ़ा तो लगता है

शब्द संसार प्रत्यूष नवबिहार

फरवरी 2022

जाने वाले सिपाही का वापस आना

शुक्रवार

7-13फरवरी 2014

आम आदमी, सुबह से, फेसबुक, मंत्री

संभव

अक्तूबर '89-जून'90

पहाड़ (तीन कविताएँ)

सर्जक

जून 2003

खतरनाक, हम जो देखते हैं


सदानीरा

2016(17)

तीस कविताएँ


2013

अब मैं चुप हूँ क्योंकि, हालाँकि आज, भय-कथा, हम जो स्थाई रूप से विस्थापित हैं, मेरे सीने में एक बड़ा कैनवस है, मैं क्यों गद्य कविताएँ लिखता हूँ, सिर्फ इसलिए नहीं, तस्वीर

समकालीन जनमत

मार्च 2022 (कविता विशेषांक)

जीत, खूबसूरत, जाने वाले सिपाही का वापस आना, आदतन फितरतन

जनवरी 2022

शहर और शहर, हाँ यार

अगस्त 2019

दो गद्य कविताएँ

मार्च 2018

पढ़ो (2 कविताएँ), जुड़ो (2 कविताएँ)

नवंबर 2017

पाँच कविताएँ (सबके भीतर का गुजरात)

अक्तूबर 2017

एक कविता

दिसंबर 2015

चार कविताएँ

दिसंबर 2014

मर्सिया

मई 2010

मैं एक दिन उस छत्तीसगढ़ में जाऊँगा

18-24 जून 1989

यह समय

समकालीन भारतीय साहित्य

नवंबर-दिसंबर 2014

रुक जाओ, कितने , दुःखों के सागर से चाँद, सहे जाते हैं


1994

भाषा-1, भाषा-2

समकालीन सृजन

2006

पोखरन 1998, पिता

समय चेतना

1996

एक दोपहर तीसरी मंज़िल, नाराज़ लड़की का ख़त पढ़कर, ग्रामसभा, निर्वासित औरत की कविताएँ पढ़कर; पुनश्च

1995

डायरी में तेईस अक्तूबर, ..

समालोचन वेब पत्रिका

2023

मुख़ालफ़त – ‘असहमति का साहस' संकलन में

2023

और मैं उसे रंगीन छतरी बन, एक और है कि, अब जो हो, तभी तो, इक दम रह जाएगा, उम्मीद

2020

इंसानियत एक ऑनलाइन खेल है (14 गद्य-कविताएँ)

समयांतर

मार्च 2024

दिखता है अब भी, जुगनू

संवेद

जनवरी 2015

यह अधिकार है मेरा, तो क्या, उन मुहल्लों में, मैं नहीं मानता, यह रुदन अनादिकाल से है, छोड़ जाऊँगा, बरकरार, बगुलो ओ पगले, प्यार को एक मौका, बारिश हो रही है, कुछ कहोगी, उसकी मिठास भर रहा हूँ, मेरे साथ, अंकुर फूटेंगे निरंतर, मैं नहीं चौंकूँगा, भूगोल, इतिहास, विज्ञान, साहित्य, संगीत



साखी

अप्रैल 2010

षडरिपु कथा; प्रवासी कवि; इस तरह मरेंगे हम; कितना गुस्सा होता है; विसर्जन नाइन इलेवेन

सामयिक वार्ता

मार्च 2018

भाषा पर तीन कविताएँ

जुलाई 2015

सुंदर लोग (दो कविताएँ)

साक्षात्कार

अक्तूबर 2008

जो हूँ वह हूँ, आओ, मैं मानव, अब भी ढूँढ रहे गंतव्य, क्या महज संपादित हूँ, रंग पीला जिसे बाँटता हूँ निर्लज्ज, जो बहुत दूर से चलकर मुझ तक आया है, ईश्वर भी देखता होगा उसे मेरी ही तरह

जनवरी 2006

अपने उस आप को; दो न; कहीं कहीं कोई कोई; औरत गीत गाती है; वक्त बिताने की कला

मार्च 2000

सात कविताएँ (वह जो बार बार पास आता है)

अगस्त 1999

सबसे पहले सबसे बाद; एक दिन में; आत्मकथा; निश्छल; रात; राष्ट्र

मार्च 1997

आ शब्द, तो फिर, प्रासंगिक, आजीवन, हमारा समय, कविता, आवाज़ें

मार्च 1994

वह प्यार – 6 कविताएँ

अप्रैल-मई 1992

फ़ोन पर दो पुराने प्रेमी, एक दिन; बच्ची बोलेगी; बढ़ा एक हाथ लिए किस आकाश में, सेंध

1989

'क्यों चुप हो' और दो और कविताएँ

अक्तूबर-दिसंबर1987

चाह; वह मैं और कलकत्ता; क्या नींद भी हिंदू या सिख होती है; लड़ाई हमारी गलियों की,

हरिभूमि रविवार भारती

9 अक्तूबर 2016

फिक्र

हिंदुस्तानी ज़बान

अप्रैल-जून 2019

सूरज की रोशनी में भी अँधेरा

हंस

दिसंबर 2018

तुमने पतंग उड़ाई है, 1995 में जर्मन दोस्त को लिखा खत, सोचने के बारे में, पागल मुझे जगाया,

पुकारूँ, सोचने के बारे में

दिसंबर 2008

उन सभी मीराओं के लिए, तुम हो न, तुमने पूछा

अप्रैल 1998

ऐसे ही, अर्थ खोना ज़मीन का, डरती हूँ

1997

उसकी कविता,

1996

डायरी में तेईस अक्तूबर, आधुनिक,

सितंबर 1995

कविता नहीं,

1994

शहर लौटने पर पहले पहले खयाल- दो कविताएँ




संपादित संकलन मेंं

2023

समालोचन वेब पत्रिका - अरुण देव संपादित 'असहमति का साहस' में

2017

अजय पांडे संपादित 'बच्चों से अदब से बात करो' (साहित्य भंडार) में : हिरोशिमा

2014

प्रणय कृष्ण संपादित 'बनारस की संस्कृति के प्रतिनिधि कौन' में: व्याख्यान

2014

प्रणय कृष्ण संपादित 'मोदी मॉडल की सच्चाई' में: व्याख्यान

2013

गिरिराज किराडु संपादित "डर की कविताएँ" (दखल प्रकाशन) में : डरती हूँ

दिसंबर 2002

असद ज़ैदी संपादित "दस बरस" में : 1 मार्च 2002, पूर्ण या अर्द्ध, वह जगह, आम, बहुत देर हो चुकी है

1995

प्रमोद कौंसवाल संपादित 'क्या संबंध था सड़क का उड़ान से' में हम हैं, छोटे शहर की लड़कियाँ

1993

विष्णु नागर/असद ज़ैदी संपादित "यह ऐसा समय है" में : सात दिसंबर 1992: यहाँ नहीं कहीं और